Maharajganj

राजस्व विभाग ने महराजगंज के डीएम की जमीन का दूसरों के नाम कर दिया बैनामा, विभाग में मचा हड़कंप

चिउरहा मउपाकड़ स्थित करीब नौ डिसमिल भूमि चकबंदी के बाद से ही राजस्व के अभिलेखों में जरे इंतजाम कलेक्टर के नाम है दर्ज

वर्ष 2010 से 2016 वाली खतौनी में दर्ज था यह नाम, वर्ष 2017 में हुई खतौनी संशोधन में गयाब कर दिया कलेक्टर का नाम

 खतौनी में अन्य खातेदारों को सीधे बना दिया गया भूमि स्वामी, दो लोगों को साढ़े चार -चार डिसमिल भूमि को किया गया था बैनामा

फाइल खारिज-दाखिल के लिए पहुंच गई थी तहसीलदार न्यायालय, जिलाधिकारी तक शिकायत पहुंचने के बाद उजागर हुआ मामला, शुरू हुई जांच
 
महराजगंज टाइम्स ब्यूरो:-
  राजस्व विभाग से सरंक्षण में भू माफिया के हौसले इस कदर बुलंद है कि अब जिलाधिकारी की सरकारी स्वामित्व वाली भूमि का भी दूसरों के नाम पर बैनामा कर दे रहे है। मामला कहीं और का नहीं, बल्कि महराजगंज के डीएम से जुड़ा है। खतौनी से नौ डिसमिल जमीन, जो कलेक्टर के नाम पर दर्ज थी, उनके नाम को गायब कर दिया गया। हद तो यह है कि बाद में उस भूमि का एक नहीं बल्कि दो बार बैनामा कर दिया गया। खतौनी में नाम का हेरफेर करने का जैसे ही यह मामला उजागर हुआ  सरकारी महकमें मे हड़कंप मच गया है। अब जांच भी शुरू हो गई है। माना जा रहा है, इसमें अधिकारी से लेकर कुछ कर्मियों की गर्दन फंस गई है। जो इस तरह के खेल में शामिल रहते है।  इस मामले में जिलाधिकारी सत्येन्द्र कुमार ने  सख्त रुख अपनाते हुए मामले की जांच उपजिलाधिकारी को सौंपते हुए खारिज दाखिल की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। 

 दो साल में कर दिया गया नौ डिसमिल जमीन का बैनामा 

 राजस्व विभाग में प्रत्येक छह वर्ष पर खतौनी का संशोधन कर पुराने आदेशों के आधार पर नए नाम चढ़ाए जाते हैं। यह पूरी प्रक्रिया तहसील न्यायालयों के आदेश के अनुक्रम में राजस्व कानूनगो और संबंधित लेखपाल द्वारा की जाती है। इसी क्रम में नगर पालिका क्षेत्र स्थित चिउरहां मऊपाकड़ स्थित करीब नौ डिसमिल भूमि जो चकबंदी के बाद से ही राजस्व विभाग के अभिलेखों में जरे इंतजाम कलेक्टर के नाम से दर्ज है। वर्ष 2010 से 2016 वाली खतौनी में यह नाम दर्ज था, लेकिन वर्ष 2017 में हुई खतौनी संशोधन में जरे इंतजाम कलेक्टर का नाम खतौनी से गायब करके अन्य खातेदारों को सीधे उस भूमि का स्वामी बना दिया गया। इसके बाद उसी भूमि में पहले नंवबर 2021 में साढ़े चार डिसमिल और फिर अक्टूबर 2022 में साढ़े चार डिसमिल भूमि को बैनामा कर दिया गया। बैनामे के बाद फाइल खारिज-दाखिल के लिए तहसीलदार न्यायालय भी पहुंच गई। लेकिन इसी बीच जिलाधिकारी के पास शिकायत पहुंचते ही पूरी प्रक्रिया पर पानी फिर गया। जिलाधिकारी के निर्देश के क्रम में संबंधित मामले की जांच की जा रही है। अबतक की जांच में संबंधित भूमि पुराने अभिलेखों में जरे इंतजाम कलेक्टर के नाम से दर्ज है। 

सम्बन्धी लेखपाल और कानूनगो की कुंडली खंगाल रहे जांच अधिकारी

वर्ष 2017 में संशोधित हुई खतौनी में कूटरचित तरीके से जरे इंतजाम कलेक्टर का नाम काटने की पुष्टि हुई है। साथ ही गतल तरीके से सरकारी भूमि का बैनामा भी कराया गया है। प्रकरण मे उपजिलाधिकारी सदर दिनेश मिश्रा ने कहा कि मामला गम्भीर है उक्त भूमि पर डीएम का नाम चढाने की प्रक्रिया शुरु कर दी गयी है। खतौनी से जिलाधिकारी का नाम हटाने के मामले मे शामिल सम्बंधित कानूनगो व लेखपाल का पता लगाया जा रहा है। उनके ऊपर कड़ी कार्यवाही की जाएगी।

फर्जी कागजात पर खतौनी से नाम का हेरफेर करवाने वाले कई लोग हैं निशाने पर 
सूत्रों की मानें तो इस खेल में उन लोगों का नाम भी उजागर हो सकता है, जो पूर्व में फर्जी कागजात तैयार कर विभाग के कुछ कर्मियों की मदद से खतौनी में नाम जोड़ने और हटवाने का खेल करते हैं। पिछले कुछ साल में खतौनी में संशोधन के नाम पर फर्जी कागजात पर भूमि स्वामी का नाम कटने की शिकायतों की फाइलों को भी पलटा जा सकता है।

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